“संचार” मेरियम-वेबस्टर शब्दकोश द्वारा इस प्रकार परिभाषित किया गया है- "एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा प्रतीकों, संकेतों या व्यवहार की एक सामान्य प्रणाली के माध्यम से व्यक्तियों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है"। मनुष्य सिर्फ वाणी द्वारा एक दूसरे से संवाद नहीं करते; हम कई माध्यमों से संवाद करते हैं: हावभाव, मुद्राएं, चेहरे...Read More
विकलांगता युक्त लोग दुनिया में अपना सही स्थान पा सकें इसके लिए जो बदलाव हम देखना चाहते हैं, वे, अक्सर छोटे लेकिन शक्तिशाली किश्तों में होते हैं। आकर्षक परिवर्तन प्रभावशाली होते है, लेकिन विश्वासयोग्य, बेहतर जीवन की दिशा में उठाए गए छोटे कदम और अधिक संभावनाएं, भविष्य में विजय दिला सकती हैं।Read More
संपादक का नोट: सुधा नायर, एक विशेष शिक्षिका, एक सक्रिय कार्यकर्ता और पुणे की एस.आर.वी. लीडर, सामाजिक भूमिका मूल्यवर्धन (एस.आर.वी.) के मूल मूल्यों के आधार पर एक कार्यक्रम विकसित करने का एक व्यक्तिगत अनुभव साझा करती हैं। कौन सी बातें एक अच्छा कार्यक्रम बनाती हैं? उसमें क्या सामग्री लगती है ... कौशल प्रशिक्षण की थोड़ी...Read More
यह मानसिकता रखने का क्या मतलब है कि समाज में विकलांगता एक वरदान है जिसके बिना हम नहीं रह सकते हैं? कि विकलांगता का अनुभव करने वाले और ऐसे लोग जिनके जीवनों में इन व्यक्तियों की उपस्थिति की पूर्णता प्राप्त है वे महत्वपूर्ण कौशल, सबक और तकनीक रखते हैं, जिससे सभी लोगों को लाभ होता...Read More
डॉ. रीता जेम्स और डॉ. नीलम सोंढी का मानना है कि भारत में विकलांगता युक्त लोगों के लिए समानता और न्याय की दिशा में काम करने के लिए परिवार के सदस्यों और इस क्षेत्र के पेशेवरों के समूहों से आगे बढ़ना होगा। वे दोनों ही संगठनों के अन्तर्गत परिवर्तन के लिए काम करते हैं, और...Read More
देशीय स्थानों में रहने वाले शिल्पकार और दस्तकार जानते हैं कि उनकी कला और शिल्प अपने साथ उन लोगों का ज्ञान संजोये हुए हैं जो पहले ही दुनिया से जा चुके हैं। सधे हुए हाथों से कुछ सुंदर, सार्थक और उपयोगी बनाने का हुनर, और यह ज्ञान कि एक हाथ की बनी वस्तु का मूल्य...Read More
एक अदृश्य इकाई, एक छोटे से वाइरस ने वह सब कुछ बदल दिया है जिसे हम सामान्य के रूप में जानते थे। भारत में तालाबंदी से सब कुछ ठप पड़ गया। स्कूलों और कार्यक्रमों के बंद होने से विशेष आवश्यकता वाले लोगों के माता-पिता एक मुश्किल स्थिति में पड़ गए और कभी-कभी ऐसा लगता है...Read More
यदि आप ऑटिज्म सोसाइटी पश्चिम बंगाल के रोजगार प्रभाग में जाते हैं, तो आप वहां काम करने वाले लोगों और प्रशिक्षणार्थियों को“हमारे बच्चों” के रूप में सम्बोधित किया जाना नहीं सुनेंगे। आपदीवारों को उदारता पूर्वक देने वालों की प्रशंसा करते हुए दान पट्टिकाओं के साथ भरा हुआ नहीं देखेंगे और न ही दीवारों पर आटिस्म...Read More
तस्वीरें सुजाता खन्ना फोटोग्राफी से हैं विकलांगता युक्त लोगों को अक्सर “उन लोगों” के रूप में देखा जाता या वर्णन किया जाता है- और उनको अलग-थलग कर देना या एक जगह में इकट्ठा कर रखने के कारण ना सिर्फ उन्हें अलग लोगों के रूप में देखे जाने की प्रवृति को बढ़ावा मिलता है परन्तु उन्हें...Read More