लाकडाउन के दौरान जीवनदायी भूमिकाएं

सामाजिक अवमूल्यन और लोगों का समाज के हाशिए पर कर दिया जाना उनको शक्तिविहीन बनाता है, उनको छोटा महसूस कराता है और समाज के अन्य लोगों की नजरों में उन्हें गायब भी कर देता है, विशेष कर जब वे दूर में अवस्थित मानसिक आरोग्यशालाओं में बंद पड़े हों। सम्मानित सामाजिक भूमिकाएं, यहां तक कि छोटी भूमिकाएं भी, लोगों को बड़ा महसूस करने में मदद करने की क्षमता रखती हैं, जिससे उनमें गर्व की भावना पैदा होती है और वे अपने आप को मजबूत महसूस करते हैं, और जीवन में अच्छा कर पाते हैं।

इस वीडियो में दिखाया गया है कि किस प्रकार से मानसिक अस्पताल में बंद पड़ी महिलाएं जब स्वंयसेविकाओं के रूप में अपनी भागीदारी निभाती हैं तो वे अपने जीवनों में बेहतरी का अनुभव कर पाती हैं। इसके द्वारा वे दीवारों के भीतर कैद लोगों को सुरक्षित रखने के एक आंदोलन में मदद करती हैं। यह उन लोगों के लिए सामाजिक भूमिकाओं के नाटकीय प्रभाव को दर्शाता है, जिनको इनकी सख्त जरूरत है।

अंजलि मेंटल हेल्थ राइट्स ऑर्गेनाइजेशन ने समाज के हाशिए पर जिन्दगी बिताने वाले लोगों की आजादी की दिशा में काम करते हुए इस वीडियो को बनाया है, और हम उनका धन्यवाद देते हैं कि वे हमें याद दिलाते हैं कि विकटतम परिस्थितियों में पड़े लोगों के लिए भी संभावनाएँ हैं।

सरकारी मानसिक आरोग्यशालाओं के 3000 से अधिक निवासियों के लिए कोविड-19 महामारी से जुड़ा लॉकडाउन कोई अलग या नई बात नहीं है। वे तो संस्थाओं में रहने के कारण पैदा हुए सामाजिक कलंक, भेदभाव, उदासीनता और राजनीतिक और सार्वजनिक इच्छा की कमी के कारण हमेशा से ही लॉकडाउन की स्थिति में रहते आए हैं। अंजलि से मिला समर्थन इस लॉकडाउन की गंभीर अनिश्चितता के बीच उन्हें राहत प्रदान करता है, जबकि वे अपने आप को मानो एक भगदड़ के बीच फंसा पाते हैं जहां मौजूदा व्यवस्था, समुदाय और दुनिया ने उनको भुला दिया है। एक लॉकडाउन जो  उनके लिए शायद कभी खत्म नहीं हो, उन्होंने अपने साथी निवासियों के लिए जिम्मेदार ज्ञान और देखभाल संसाधन होने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने अपने को दृश्यमान बनाने की कोई आशा करने की जुर्रत भी नहीं की है, बल्कि यह काम कम से कम हम लोग साधारण जनता उनके लिए कर सकती है, जो सामाजिक न्याय के सबसे निचले पायदान पर हैं।