नागरिकता की मेज पर सहभागी

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नागरिकता की मेज पर सहभागी

 

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Keystone Human Services (KHS) is a non-profit organization that is a part of a global movement to provide support and expertise to people with disabilities.

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Keystone Human Services नागरिकता की मेज पर सहभागी

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अरात्रिक एक उन्नीस वर्ष के ऊपर का युवक है जो जल्द ही बीस वर्ष का हो जाएगा। यदि आप उसके सरकारी विकलांगता प्रमाण पत्र सहित अन्य आधिकारिक दस्तावेजों पर एक नज़र डालेंगे, तो यह एक ऐसे युवक की कहानी बतलाते हैं जो विकलांगता के प्रमुख और यहां तक कि तथाकथित “गंभीर” प्रभावों से ग्रस्त है। फिर भी अगर आप इस व्यक्ति से मिलेंगे, तो आप जल्दी ही देख पाएंगे कि वह उन पर्चों में दिए नामों से कहीं अधिक है। वास्तव में, उसके माता-पिता और उसके आस-पास के लोग उसे विचार, समझ और खुद की राय से भरे व्यक्ति के रूप में देखते हैं। वह अपने आस-पास की दुनिया के बारे में गहराई से और दृढ़ता से महसूस करता है। जैसे-जैसे वह वयस्कता की उम्र के करीब पहुंचा, उसके माता-पिता ने महसूस किया कि उसका मताधिकार दुनिया में प्रवेश करने और अपने देश के नेतृत्व के बारे में अपनी आवाज उठाने के अपने अधिकार का प्रयोग करने का एक महत्वपूर्ण जरिया था, जो हममें से उन लोगों को प्राप्त है, जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में रहने के सौभाग्यशाली हैं। वास्तव में, पूर्ण नागरिकता हासिल करने की हमारी यात्रा में मतदान का अधिकार एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

उम्मीदवारों के बारे में सीखने और अपने निर्णय खुद लेने के साथ-साथ, एक नागरिक के रूप में उसकी भूमिका के विषय समृध्द सीख प्राप्त करने में मदद करने के एक ठोस प्रयास के बाद, अरात्रिक ने पिछले साल मतदाता की महत्वपूर्ण भूमिका को निभाया।

उसके माता-पिता, जाने-माने विकलांगता कार्यकर्ता ब्रताती और मलय ने वर्षों से उसे कई निर्णय लेने में और चुनाव करने में मदद किया था, और वह अपनी प्राथमिकताओं को व्यक्त करने में सक्षम था। उन्होंने मतदाताओं और उम्मीदवारों  के विषय जानकारी प्राप्त करने के लिए यू-ट्यूब में उपलब्ध कई निर्देशात्मक वीडियो दिखाकर अरात्रिक की सहायता की और उसे तैयार किया।

ब्रताती और मलय ने बताया कि जब वे अपने बेटे को पूरी तरह से नहीं समझते हैं, तो यह उनकी अक्षमता है, उसकी नहीं, इसलिए उन्होंने ध्यानपूर्वक और अधिक गहराई से उसे सुना। युवा अरात्रिक को मतदान के लिए तैयार करने का यह उनका तरीका था, और जब वह दिन आया, तो वह तैयार था। वह बचपन से ही अपने चुनाव खुद कर रहा था, और उसके माता-पिता ने इसे जीवन के लिए उसकी तैयारी के रूप में देखा था – वास्तव में, जिस दिन उसने एक मतदाता के रूप में महत्वपूर्ण नागरिकता की भूमिका निभायी, तो यह उसके लिए वयस्कता की जिम्मेदारियाँ निभाने के लिए कई वर्षों से की गई तैयारी की परिणति थी।

चुनाव से पहले के दिनों में, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ई.वी.एम.) के कार्डबोर्ड प्रतिकृतियां बनाई गई थीं, ताकि अरात्रिक को न्यूनतम समर्थन की आवश्यकता हो और पता चल पाए कि उसे क्या उम्मीद करनी है। उन्होंने उम्मीदवारों पर समाचार पत्रों में प्रकाशित विवरणों पर ध्यान केंद्रित किया और उसकी प्रतिक्रियाओं और निर्णय को ध्यान से देखा। अरात्रिक ने अपना पसंदीदा चुनाव चिन्ह चुना और चुनाव के  दिन से पहले तीन दिनों में कम से कम दस बार इसका अभ्यास किया और असली चुनाव में उसकी सहायता करने वाले किसी भी व्यक्ति की टिप्पणी या मदद के बिना एक चुनाव चिन्ह चुना। उसने साबित किया कि उसकी अपनी राय है और  इसे व्यक्त करने का अवसर उसे दिया जाना चाहिए।

votingजब अंत में वह दिन आया, तो उसका परिवार एक साथ अच्छी तरह से तैयार होकर और प्रत्याशा से भरे हुए मतदान स्थल पर गये। उन्होंने अरात्रिक और अन्य विकलांगता युक्त लोगों के वोट देने के अधिकार का प्रयोग सुनिश्चित करने के लिए चुनाव अधिकारियों द्वारा किए गए विशेष प्रयासों की सराहना की। इसमें पंजीकरण के लिए घरों का दौरा करना तथा मतदान स्थलों पर लगे लोगों की लंबी कतारों से बचने के लिए उनके लिए अलग सुविधा उपलब्ध कराना शामिल था, जो आटिस्म और अन्य विकासात्मक विकलांगता वाले कुछ लोगों के लिए हताशा और कठिनाई उपस्थित कर सकते थे। विकलांगता युक्त लोगों, या कम से कम अरात्रिक  को नागरिकता की मेज पर अपना स्थान ग्रहण करने के लिए भरपूर स्वागत किया गया।

उसकी माँ ब्रताती उसके साथ थी, लेकिन अरात्रिक मतदान करने वाले स्थान में अकेला गया, उसकी माँ ने उसे आश्वस्त करने के लिए बूथ के बाहर से ही कुछ दूरी पर उसे छूकर उसका समर्थन किया। उन्होंने हर दूसरे सामान्य व्यक्ति की तरह ही पूरी प्रक्रिया को पूरा किया।

यह दिन संयोग से नहीं आया। यह कई लोगों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है, और यह दर्शाता है कि, हाँ, कानूनी तौर पर सुविधा मुहैया कराने की आवश्यकता है और वह महत्वपूर्ण है। लेकिन इस तरह की सुविधाओं के साथ वास्तविक लोग भी होने चाहिए, जैसे कि चुनाव आयोग के वे कर्मचारी जिन्होंने उन सुविधाओं का उपयोग करने में अरात्रिक और उसके परिवार को अपने स्वागतपूर्ण रवैये को महसूस करने दिया।  साथ ही, ब्रताती और मलय जैसे लोग जिन्होंने सुनिश्चित किया कि उनका बेटा अच्छी तरह से तैयार था।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अरात्रिक द्वारा नागरिकता की दहलीज पार करना उन लोगों के प्रयासों का परिणाम था जिन्होंने उसकी विकलांगता को उसे परिभाषित करने नहीं दिया और उसे नियमित जीवन में और मेज पर उसकी हिस्सेदारी से अलग नहीं रखा। य़ह अरात्रिक, उसके परिवार और उनके समर्थकों के लिए एक ऐसा भारत बनाने में एक विजय है जहां सभों को अपनी बात कहने का अधिकार है।